उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवा बदहाल, मेडिकल काउंसिल नजर आ रही लाचार।
देहरादून:-उत्तराखंड में 2500 से ज्यादा डॉक्टर पंजीकरण लाइसेंस के समय अवधि पूर्ण होने के बावजूद भी अस्पतालों में इलाज कर रहे हैं, इस वजह से मरीजों की जान से खिलवाड़ का खतरा बढ़ गया है। दरअसल, कोई भी डॉक्टर उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण के बाद ही प्रैक्टिस शुरू कर सकता है, इसके बिना मरीजों का इलाज नहीं कर सकता है। इसके बाबजूद भी 2500 डॉक्टर अपने लाइसेंस रिन्यू नहीं करा रहे हैं। उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल ने ऐसे डॉक्टरों की सूची बनाकर उन्हें कई बार नोटिस भी जारी किए हैं, परन्तु डॉक्टरों द्वारा इसका न तो अनुपालन किया गया और न ही नोटिस का जबाब दिया और न ही लाइसेंस रिन्यू करवाया।
मेडिकल काउंसिल के नोटिस का असर नहीं
लाइसेंस रिन्यू नहीं करा रहे डॉक्टरों को उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल नोटिस भेज रहा है, लेकिन अधिकांश डॉक्टर इसके बावजुद भी अपना पंजीकरण रिन्यू नहीं करा रहे हैं। दरअसल काउंसिल के पास सिर्फ नोटिस देने का ही अधिकार है। ऐसे में इस तरह के मामलों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्तर पर छापेमारी अभियान की जरुरत है।
एक्ट का हो रहा खुला उल्लंघन।
अधिकारियों के अनुसार कोई भी डॉक्टर बिना पंजीकरण को रिन्यू कराए प्रैक्टिस कर रहा है तो उनका द्वारा संचालित अस्पताल भी वैध नही है। ऐसे में क्लिनिकल एस्टेब्लिसमेन्ट एक्ट के खुला उल्लंघन हो रहा है। सीएमओ स्तर पर निगरानी न हिना इसकी बड़ी वजह है।
शहरों में ज्यादा मामले।
सूत्रों ने बताया कि इनमें अधिकांश डॉक्टर देहरादून, हरिद्वार एवं हल्द्वानी जैसे शहरों में क्लीनिक चला रहे हैं। राज्य में ज्यादा निजी अस्पताल इन्हीं क्षेत्रों में है।